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Showing posts from May, 2021

सावधान: ब्लैक फंगस को हल्के में लेने की न करें भूल, भुगतने पड़ सकते हैं बुरे परिणाम, यहां जानें इससे जुड़ी हर बात

  डॉ राजीव रंजन  एम्स, दिल्ली (एमडी, लैब मेडिसिन) कोरोना की पहली लहर जितनी खतरनाक थी, उसके मुकाबले इस वायरस की दूसरी लहर भारत में काफी खतरनाक साबित हो रही है। जहां एक तरफ स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं, तो वहीं वायरस जिस तरह से अपना रूप बदल रहा है वो चिंता का विषय बना हुआ है। इन सबके बीच ब्लैक फंगस ने हर किसी के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। इसके काफी मामले सामने आ रहे हैं। वैसे इस समस्या को म्यूकरमाइकोसिस कहते हैं, लेकिन आम भाषा में इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है। वहीं, इसे हल्के में लेने की भूल बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़े कई सवालों के जवाब। सवाल: ब्लैक फंगस कैसे व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है? जवाब: ब्लैक फंगस जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है। ये एक तरह का संक्रमण है और ये शरीर के कई हिस्सों पर अटैक कर सकता है। वहीं, अब तक जो मामले सामने आए हैं, उनमें आंखों की रोशनी जाने और नाक की हड्डी गलने के मामले सामने आ चुके हैं। यही नहीं अगर इसको लेकर लापरवाही बरती गई, तो जान तक जा सकती है। इसलिए इस वायरस की पहचान करके इसका समय रहते इलाज करना जरूरी है...

सावधान: कोरोना वायरस कब और कैसे खतरनाक रूप ले सकता है? ये तीन लक्षण बताते हैं सबकुछ

  कोरोना वायरस को दुनिया में आए एक साल से भी अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान वैज्ञानिक इसके बारे में काफी कुछ जान चुके हैं कि यह वायरस कैसे शरीर में प्रवेश करता है और लोगों को बीमार करता है। हालांकि अभी भी इससे जुड़े बहुत सारे ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं। दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन अस्पताल के डॉक्टर मैथ्यू वर्गीस कहते हैं कि हम यह नहीं जानते कि संक्रमित होने के बाद कौन से मरीज की तबीयत बिगड़ जाएगी और वह वेंटिलेटर पर चला जाएगा और कौन नहीं जाएगा, यह जानने का कोई तरीका नहीं है। आइए जानते हैं कि इस वायरस के संक्रमण से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, जिनके बारे में जानना बेहद ही जरूरी है।  डॉ. मैथ्यू वर्गीस कहते हैं, 'जब वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो वह तेजी से अपनी कॉपी बनाने लगता है और महज दो दिन में ही हमारे शरीर में करोड़ों वायरस बन जाते हैं। इससे गले में खिचखिच होती है, गले में खराश होती है, खांसी होती है। अब इस वायरस से लड़ने के लिए हमारा शरीर एंटीबॉडी बनाता है और उससे लड़ता है, उसे खत्म कर देता है। इस लड़ाई में तापमान बढ़ता है, इसलिए हमें...

आंखों में लालपन दिखाई देने पर करें ये आसान अभ्यास, मिलेगा फायदा

 कम्प्यूटर पर बहुत देर तक काम करने से आंखों की समस्या होना बहुत सामान्य बात है। आंखों में जलन और लालपन होने पर घबराने की बजाय यदि आप कुछ आंखों की कसरत कर लेंगे तो सब खुद से ठीक होने लगेगा पर इसके लिए जरूरी है कि आप अपने स्क्रीन टाइम को कम करने का प्रयास करें। साथ ही आंखों की इन कसरतों को एक तय किए हुए समय पर बार-बार करें। अगली स्लाइड्स से जानिए आंखों की कौनसी कसरतें आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं।  हथेली से ढंकना यदि आंखों में लालपन और दर्द हो रहा है तो सीधे बैठ जाएं और लंबी गहरी श्वास लें। हाथों को रगड़ें और आंखों पर रखें। पांच मिनट तक इसी तरह हाथों को आंखों पर रखें। इससे आंखें तेज भी होती हैं इसलिए यदि रोज आप कंप्यूटर पर देर तक काम करते हैं तो इस तरह की आंखों की कसरत आपके लिए बहुत लाभदायक साबित हो सकती है।  गोल घुमाएं आंखें  अपनी आंखों को किसी एक लक्ष्य पर केंद्रित करें। अब उन्हें 10 बार क्लॉक वाइज और 10 बार एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं। आंखों में यदि बार-बार आंसू आते हैं, तब इस एक्सरसाइज को करने से आपको बहुत लाभ पहुंचेगा इसलिए आप बैठे-बैठे काम के बीच भी कभी भी इसे कर...

फैक्ट चेक: 'इस होम्योपैथिक दवा की दो बूंद से बढ़ा जाता है शरीर में ऑक्सीजन का स्तर', जानें वायरल मैसेज की सच्चाई?

      देश नोवल कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। हाल के दिनों में संक्रमण के आंकड़ों में थोड़ी कमी जरूर देखी गई है, लेकिन स्थिति अब भी बेहतर नहीं है। कोविड के इस दौर में विशेषज्ञ सभी लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की सेहत पर विशेष ध्यान देने पर जोर दे रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि इस दौरान होने वाली किसी भी तरह की समस्याओं में बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है जिसमें एक होम्योपैथिक दवा को कोरोना के सभी रोगियों को प्रयोग में लाने की सलाह दी जा रही है। आइए जानते हैं क्या वास्तव में यह दवा कोरोना में असरदार साबित हो सकती है? क्या है वायरल संदेश सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर वायरल एक पोस्ट में कोविड का उपचार बताया जा रहा है। पोस्ट में लिखा है- कार्बो वेजिटाबिल्स 30 नामक होम्योपैथिक दवाई की 2-3 बूंद से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा पूरी की जा सकती है। यह दवा इसलिए भी कारगर हो सकती है क्योंकि देश इस समय ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना कर रहा है। जिस भी व्यक्ति को ...

गर्मियों में शरीर को तरोताजा रखेगा बेल का शरबत, बनाने की विधि है बेहद आसान

  गर्मियों में बेल का शरबत शरीर को तरोताजा रखने में मदद करता है। बेल में मौजूद विटामिन ए आंखों की सेहत को फायदा पहुंचाता है। वहीं इसमे जिंक और आयरन भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। ऐसे में बेल के शरबत का सेवन फायदेमंद होता है। गुणों से भरपूर बेल के शरबत को बनाने की ये विधि है बेहद आसान। बेल का शरबत बनाने के लिए सामग्री- 1 बेल फल 1 लीटर पानी मुट्ठी भर पुदीना की पत्ती 5-10 आइस क्यूब्स चुटकीभर नमक चीनी स्वादानुसार बेल का शरबत बनाने के लिए सबसे पहले बेलन की मदद से बेल के फल को तोड़कर इसके बाहरी मोटे छिलके को इसके गूदे से अलग कर लें। अब गूदे में से इसके बीज निकाल लें। ध्यान रखें कई बार बेल के फल के बीज के आस-पास बहुत सारा जैल लगा होता है, जो स्वाद में कड़वा होता है। इसे यदि हटाया न किया जाए तो शरबत में भी कड़वाहट आने लगती है। इसके बाद एक बड़े बाउल में बेल के फल का गूदा लें और उसमें एक गिलास पानी डाल कर अच्छी तरह से मिला लें। ऐसा करने से आप गूदे को अच्छे से मिक्स भी कर पाएंगे और उसमें मौजूद बीज भी अलग हो जाएंगे। अब एक बड़ी छन्नी से इस मिश्रण को छान लें। छन्नी में थोड़ा और पानी डालें ताकि...

सावधान: कोरोना से ठीक होने के बाद भी इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकती है बड़ी परेशानी

 डॉ. परवेश मलिक  फिजिशियन, उजाला सिग्नस हॉस्पिटल डिग्री- एम.बी.बी.एस, एमडी (जनरल मेडिसिन)   देश में कोरोना महामारी का कहर जारी है। अब तक दो लाख 50 हजार के करीब लोग संक्रमण की वजह से मारे जा चुके हैं, जबकि हर दिन लाखों नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि देश में अब तक एक करोड़ 90 लाख से अधिक लोग कोरोना से ठीक भी हो चुके हैं, लेकिन इस बीच एक और दिक्कत बनी हुई है। कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई मरीजों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसे 'पोस्ट कोविड सिंड्रोम' कहते हैं। आइए जानते हैं इस 'पोस्ट कोविड सिंड्रोम' के लक्षण और इससे ठीक होने के उपायों के बारे में...  पोस्ट कोविड सिंड्रोम के लक्षण  कोरोना से ठीक हो चुके अधिकांश मरीजों को थकान, कमजोरी, सांस फूलना और ठीक से नींद न आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बहुत से लोगों को तो इतनी कमजोरी हो जाती है कि उन्हें रोजमर्रा के काम में भी दिक्कत महसूस होने लगती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि हल्का बुखार, चक्कर आना, जोड़ों में दर्द, चिड़चिड़ापन, सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जान...

सलाह: इन पांच बातों का रखें ध्यान तो कम हो सकता है कैंसर का खतरा, डब्ल्यूचओ ने दिoया सुझाव

  कैंसर एक घातक बीमारी है, जिसके मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और बंगलूरू के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च ने पिछले साल नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि साल 2025 तक देश में कैंसर के मामले 12 फीसदी तक बढ़ जाएंगे। रिपोर्ट में यह आगाह भी किया गया था कि अगले पांच साल में कैंसर का शिकंजा भारत पर और ज्यादा मजबूत हो जाएगा। हालांकि कुछ बातें ऐसी हैं, जिनका ध्यान रखा जाए तो कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके बारे में जानकारी दी है। आइए जानते हैं वो कौन सी बातें हैं... तंबाकू का प्रयोग न करें  विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, तंबाकू का सेवन न करके हम कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। अगर आप बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि का सेवन करते हैं तो बेहतर है कि जितनी जल्दी हो इन्हें छोड़ दें। ये मुंह और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं शराब कम पिएं  विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कम मात्रा में शराब का सेवन कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। दरअसल, कई लोगों को इस...

बच्चों को इन तरीकों से घर पर दें सेक्स एजुकेशन, नौ से बारह वर्ष में पता होना चाहिए ये बातें

 डॉ अनुराधा फाल्के, शिशु मनोचिकित्सक नोबल हॉस्पिटल, मुंबई डिग्री- बीए, एमए, पीजी- गाइडेंस एंड काउंसलिंग  अनुभव- 14 वर्ष बच्चों में छोटी उम्र से ही कई सारी चीजों को लेकर बहुत अधिक जिज्ञासा होती है जिसमें कि सेक्स और प्राइवेट पार्ट से जुड़ी बातें भी शामिल होती हैं। बहुत छोटे बच्चों में जो जिज्ञासा है, वो इस बात को लेकर है कि बच्चों को कहां से लाया जाता है, पेट में क्यों शिशु रहता है, न कि इसमें कि शिशु को दुनिया में लाने की प्रक्रिया क्या होती है? आज भी कई सारे बच्चे ऐसे हैं जिन्हें कि सही ढंग से सेक्स एजुकेशन नहीं मिल पाती है और उनका जिज्ञासु मस्तिष्क जगह-जगह सवालों के जवाब खोजता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि माता-पिता बच्चों का पालन-पोषण करने के साथ ही सही उम्र में उन्हें थोड़ी-थोड़ी और आवश्यक शिक्षा देते चलें। डेढ़ से दो वर्ष  डेढ़ से दो वर्ष के बच्चे अपने शरीर के अंगों के नाम यदि नहीं ले पा रहे हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे उन्हें समझते भी नहीं है। इतने छोटे बच्चे अक्सर प्राइवेट पार्ट को छूने लगते हैं खेलते वक्त, ऐसे में आप बढ़ावा देने की बजाय उन्हें समझाएं। बार-बार उनके हा...

कोरोना से ठीक हुए लोगों को हो रही है दिमागी और हार्ट-किडनी से जुड़ी बीमारी, लक्षण से लेकर बचाव तक यहां जानें सबकुछ

                    डॉक्टर अल्केश जैन वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ  मेदांता अस्पताल, इंदौर कोरोना वायरस महामारी से हर दिन काफी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि, इस वायरस को मात देकर भी काफी लोग अपने घर लौट रहे हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना वायरस से ठीक हो रहे हैं, उनमें से कई लोग हार्ट अटैक से अपनी जान गंवा रहे हैं। यही नहीं, कोरोना से ठीक होने के बाद कई लोग मानसिक बीमारी से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल घूम रहे हैं कि आखिर कोरोना से ठीक होने के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं? तो चलिए जानते हैं इस बारे में। ये हैं बीमारी और लक्षण:- किडनी में इंफेक्शन काफी वजन कम होना, टखने और पैर में सूजन आना, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर का बढ़ना, भूख कम लगना, खराब पाचन और बहुत ज्यादा पेशाब आना या पेशाब के रंग में बदलाव होना किडनी में इंफेक्शन के लक्षण हैं। हार्ट अटैक, ब्लड क्लॉट और मानसिक बीमारी व्यक्ति के सीने में दर्द होना, पसीना आना, काफी ज्यादा थका...